प्राक्कथन
खाद्य और कृषि मंत्रालय के हाई पावर समिति के सिफारिशों के अनुसार 1957 में केन्द्रीय मात्स्यिकी प्रौद्योगिकी संस्थान स्थापित की गई । यह देश का एकमात्र राष्ट्रीय केंद्र है । जहॉं मत्स्य और मत्स्य संसाधन के सभी विषयों पर शोध कार्य होता है । वीरावल (गुजरात), विशाखपट्टणम (आंध्रप्रदेश) और मुंबई (महाराष्ट्र) में अनुसंधान केंद्र कार्यरत है ।
सूचना युग में संवेष्ठन की सही जानकारी की जरूरत है । सूचना देना ही नहीं यह देखे कि एंड यूसर तक यह जल्द पहूंच रही है या नहीं शोधकर्ताओं और प्रौद्योगिकी उपयोगकर्ताओं के बीच में समन्वयन की जरूरत है । वैज्ञानिक या भिन्न् विषयों के विभाग मुख्य के बीच बेहतर तालमेल होनी चाहिए । लिंकेज मेकानिजम औपचारिक, स्थानीय व अधिदेश वाला हों । ए टी आई सी की स्थापना सूचना को प्रदान करने के लिए होता है । यह एक सिंगल बिंडो के रूप में काम करेगा ताकि मछुवारे और ठंकेदारों की समस्याओं का समाधान हो और उपलब्ध सारी प्रौद्योगिक सूचनाओं को जांच और उपयोग के लिए उपलब्ध करें ।
लक्ष्य
ग्राहकों में आत्मविश्वास बढाएं और संस्था और ग्राहकों के बीच के रिश्ते को मजबूत करें
डयोगनोस्टिक और परामर्श सेवाएं प्रदान करें जैसे मात्स्यिकी उत्पादों के नमूने संवेष्ठन सामग्रियां, पानी और बर्फ, पेंटं, समुद्री इंजन आदि को जांचना
मत्स्य संसाधन उद्योग के लिए गुणता आश्वासन और प्रबंधन सेवाएं प्रदान करना
संस्थान में चलाए गए शोध कार्य के आधार पर विकसित सुधार किए गए उत्पादों को बेचना और वितरित करना
प्रकाशित साहित्य और अन्य सूचना सामग्रियों द्वारा सुधार किए गए प्रौद्योगिकियों प्रदान करना
सुधार किए गए सुविज्ञता एवं प्रौद्योगिकी के लिए सीधा संपर्क बनाए रखना
प्रौद्योगिकियों के बिक्री द्वारा संपदा जेनेरेट करना और तदनुसार परामर्श सेवाएं प्रदान करना
मात्स्यिकी से संबंधित परियोजनाओं पर प्रौद्योगिक आर्थिक व्यवहार्यता प्रदान करना