मात्स्यिकी प्रौद्योगिकीविदों की सोसायटी (भारत), कोचीन और भा कृ अनु प-केंद्रीय मात्स्यिकी प्रौद्योगिकी संस्थान (के मा प्रौ सं), कोचीन संयुक्त रूप से एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी "समुद्री शैवाल : न्यूट्रास्यूटिकल्स स्वास्थ्य संबंधी उत्पादों और नई सामग्री के भविष्य के दृष्टिकोण के एक स्रोत" पर भा कृ अनु प-के मा प्रौ सं, कोच्चि में 9 वें फरवरी 2017 को आयोजित की गई।
भारत के दक्षिण तट में 200 से अधिक प्रजातियों की एक विस्तृत विविधता का प्रतिनिधित्व समुद्री शैवाल के विलासी विकास को वहन करते है। समुद्री शैवाल उद्योगों की बड़ी संख्या में असंख्य अनुप्रयोगों के साथ कई अद्वितीय गुणों को रखते है। वे कैरोटेनोड्स, टेरपीनोड्स, एक्न्थोफिल्स, क्लोरोफिल, विटामिन, संतृप्त और पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड, अमीनो एसिड, पोलीफीनोल्स, एल्कलोड्स, हलोजेनेटेड , ग्लिसरीन और फुकोडन गलक्टोसल यौगिकों और पोलीसकरीडस अगर, कैरागीनन, एल्जीनेट, लमीनरन, रैमनन सल्फेट जैसे एंटीऑक्सीडेंट के रूप में विभिन्न यौगिकों की खजाने की निधि हैं। ऐसे बहुमूल्य बायोएक्टिव समुद्री शैवाल में मौजूद यौगिकों चिकित्सा के क्षेत्र में विविध अनुप्रयुक्त के लिए एक बड़ी सफलता की प्रतीक्षा को रखते है।
यह 'समुद्री शैवाल' राष्ट्रीय संगोष्ठी समुद्री शैवाल आधारित जैवकार्यात्ममक यौगिकों, समुद्री शैवाल की खेती, समुद्री शैवाल और जैव ईंधन की जैव विविधता के भिन्न विषयों पर अतिथि व्याख्यान और पोस्टर प्रस्तुतियों के रूप में भारतीय दक्षिण तट में उपलब्ध अप्रयुक्त प्राकृतिक संसाधनों के बारे में चर्चा करने के लिए एक मौका प्रदान करती है। संगोष्ठी औपचारिक रूप से डॉ.के.गोपकुमार, पूर्व उप महानिदेशक (मात्स्यिकी), भा कृ अनु प, नई दिल्ली और वर्तमान निदेशक, जलीय खाद्य उत्पाद और प्रौद्योगिकी स्कूल, कुफोस, कोचीन के द्वारा उद्घाटन किया गया। अतिथि वक्ताओं से डॉ.ए.के.सिद्धांत, सीएसआईआर-सीएसएमसीआरआइ, भावनगर, जिन्होंने 'समुद्र से उत्पन्न स्वास्थ्य संबंधी उत्पादों और नई सामग्री' पर व्याख्यान दिया जबकि प्रो.के.पद्मकुमार, कुफोस, कोचीन समुद्री शैवाल से बायोएक्टिव प्राकृतिक उत्पादों के उत्पादन के बारे में विस्तृत जानकारी शामिल थी । डॉ.सी.पेरीयसमी, एएफआई, मदुरै समुद्री शैवाल की खेती की संभावनाओं के बारे में प्रकाश डाला। डॉ.पी.कलाधरन, भा कृ अनु प-के स मा अनु सं, कोचीन अपने भाषण में बड़े पैमाने पर समुद्री शैवाल का समुद्री पालन का एक विस्तृत ब्यौरा दिया और डॉ.वल्सम्मा जोसफ, कुसाट कोचीन समुद्री शैवाल से जैव ईंधन के उत्पादन पर प्रकाश डाली। डॉ.सुशीला मैथ्यू, प्रभागाध्यक्ष, जैव रसायन और पोषण, भा कृ अनु प-के मा प्रौ सं, कोचीन और संगोष्ठी की संयोजिका अपने भाषण में जैव आणुओं के लिए समुद्री शैवाल दोहन के महत्व पर विस्तृत जानकारी दी और भा कृ अनु प-के मा प्रौ सं, कोचीन में किए गए व्यापक कार्य को बताई। डॉ.भास्कर नारायणन, सीएसआईआर-सीएफटीआरआई, मैसूर न्यूट्रास्यूटिकल्स और स्वास्थ्य के क्षेत्र में समुद्री शैवाल की व्याप्ति और दृष्टिकोण पर बल दिया। प्रारंभ में डॉ.सी.एन.रविशंकर, निदेशक, भा कृ अनु प-के मा प्रौ सं, कोचीन भारत सरकार द्वारा परिकल्पित देश की नीली अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए इस संगोष्ठी के महत्व के बारे में एक संक्षिप्त टिप्पणी दिया। डॉ.टी.श्रीनिवास गोपाल, पूर्व निदेशक, भा कृ अनु प-के मा प्रौ सं, कोचीन संगोष्ठी में सत्र की अध्यक्षता किया।
डॉ.के.गोप कुमार उद्घाटन भाषण दे रहे है। मंच पर डॉ.के.अशोक कुमार, डॉ.ए.के.सिद्धांत, डॉ.टी.श्रीनिवास गोपाल, डॉ.सी.एन.रविशंकर और डॉ.सुशीला मैथ्यू हैं
समुद्री शैवाल पर प्रकाशन का विमोचन
Page Last Updated on 2017-02-22
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