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भारत के माननीय उपराष्ट्रपति ने भाकृअनुप-केमाप्रौसं विशाखपट्टणम अनुसंधान केन्‍द्र का दौरा किया

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भारत के माननीय उपराष्ट्रपति, श्री एम.वेंकैया नायडके साथ श्री मुत्तमसेट्टी श्रीनिवास राव, आंध्र प्रदेश सरकार के पर्यटन, संस्कृति और युवा उन्नति मंत्री, ने 7 दिसंबर, 2020 को भाकृअनुप-केन्‍द्रीय मात्स्यिकी प्रौद्योगिकी संस्‍थान के विशाखपट्टणम अनुसंधान केन्‍द्र का दौरा किया। विशाखपट्टणम में भाकृअनुप-केमाप्रौसं विशाखपट्टणम अनुसंधान केन्‍द्र के वैज्ञानिकों के साथ बातचीत करते हुए, उपराष्ट्रपति ने केमाप्रौसं विकसित प्रग्रहण और पश्‍च प्रग्रहण प्रौद्योगिकियों जैसे उत्‍तरदायी मत्‍स्‍यन गियर्सउपपकड़ कमी युक्तियां जैसे  वर्ग मेश कोडएन्‍ड, कछुए को अलग करने वाले उपकरण, फोल्डेबल ट्रैप्स, अनुकूलित कास्ट जाल, समुद्री शैवाल उत्पाद, मत्‍स्‍य आधारित मूल्य वर्धित उत्पाद, काइटोसन, शुष्‍क मत्‍स्‍य आदि से अत्यधिक प्रभावित हुए  जिसे दौरे में आए प्रतिनिधियों के लिए वहां प्रदर्शित किया गया था केमाप्रौसं के विशाखपट्टणम अनुसंधान केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक और प्र वै डॉ. रघु प्रकाश ने संपोषणीय और उत्‍तरदायी मत्‍स्‍यन के लिए हरी मत्‍स्‍यन प्रौद्योगिकियों के बारे में बताया। डॉ.बी.मधुसूदन राव, प्रधान वैज्ञानिक ने केमाप्रौसं की विभिन्न पश्‍च प्रग्रहण प्रौद्योगिकियों यानी मूल्य वर्धित मत्‍स्‍य उत्पाद, उच्च मूल्य के उपोत्पाद, न्यूट्रास्यूटिकल; की उद्यमिता संभावनाओं के बारे में माननीय उपराष्ट्रपति को अवगत कराया। जहां केमाप्रौसं - कृषि व्यवसाय उद्भवन केंद्र ने छोटे मछुआरों के बीच मत्‍स्‍य उद्यमिता को बढ़ावा देने के माध्यम से इस क्षेत्र में जबरदस्त प्रभाव डाला है।

 

केमाप्रौसं के वैज्ञानिकों को अपने संबोधन में, भारत के माननीय उपराष्ट्रपति ने खाद्य और पोषण सुरक्षा में प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में भारतीय मात्स्यिकी, की सबसे समृद्ध और उद्यमी क्षेत्र की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने देश के कुपोषण की स्थिति से निपटने के लिए पशु प्रोटीन के एक किफायती और आसान स्रोत के रूप में मत्‍स्‍य सेवन के स्वास्थ्य लाभों पर भी जोर दिया। इस संदर्भ में, उन्होंने वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि वे बड़े पैमाने पर मछुआरों की भलाई के लिए आवश्यक-आधारित अनुसंधान मुद्दों को समझने और उनका पता लगाने और भविष्य की कार्यसूची के रूप में नवोन्‍मेषी और आधुनिक अनुसंधान कार्य करें। मत्‍स्‍यन के उत्‍तरदायी तकनीकों पर गहरी दिलचस्पी दिखाते हुए, उपराष्ट्रपति ने संपोषणीय प्रबंधन के लिए इसके महत्व पर प्रकाश डाला और इसे भविष्य की शोध कार्यसीची के रूप में प्राथमिकता देने के लिए कहा ताकि छोटे पैमाने पर मात्स्यिकी की आजीविका सुरक्षा बनी रहेयह ज्यादातर पकड़ मात्स्यिकी के शोषण के कारण प्रभावित होता है। उन्होंने वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि वे पश्‍च प्रग्रहण क्षति को कम करने, स्वास्थ्य लाभ के लिए न्यूट्रास्युटिकल्स विकसित करने, आय के स्रोत के रूप में मत्‍स्‍य मूल्य वर्धन, स्थानीय खुदरा मत्‍स्‍य बाजारों में स्वास्थ्‍यकर हस्‍तन और मत्‍स्‍य के रखरखाव के माध्यम से खाद्य सुरक्षा पर उपभोक्ता जागरूकता पैदा करने के लिए आगे आएं। माननीय उपराष्ट्रपति ने अपने विचार-विमर्श में भाकृअनुप-केमाप्रौसं को अनुसंधान और विकास में अपनी सर्वश्रेष्ठ उपलब्धियों के कारण तीन बार "भाकृअनुप सर्वश्रेष्ठ संस्थान पुरस्कार" प्राप्‍त करने पर बधाई दी। आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत प्रधानमंत्री मत्‍स्‍य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) योजना के महत्व पर प्रकाश डालते हुएउन्होंने संपोषणीय और उत्‍तरदायी मात्स्यिकीमात्स्यिकी में नए नवाचारों के माध्यम से उत्पादन बढ़ाने और रोजगार के अवसर पैदा करने का आग्रह कियाजो भारत को चौथे सबसे बड़े वैश्विक मत्‍स्‍य निर्यातक की स्थिति से आगे छलांग लगाने के लिए कुछ वर्षों में सूची में शीर्ष पर पहुंचा सकता है। इस बैठक में कई अन्य गणमान्य व्यक्तियों, अन्य अनुसंधान संगठनों, राज्य सरकार और संबद्ध एजेंसियों के वैज्ञानिकों ने भी भाग लिया।

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