कोविड -19 महामारी के प्रभाव को दूर करने के लिए संकट प्रबंधन सहायता
क्षेत्रीय प्रौद्योगिकी प्रबंधन केंद्र, भाकृअनुप-केमाप्रौसं, कोचिन
दिनांक 12 जून 2020 क्षेत्रीय प्रौद्योगिकी प्रबंधन केंद्र, भाकृअनुप-केन्द्रीय मात्स्यिकी प्रौद्योगिकी संस्थान, कोचिन ने सफलतापूर्वक “भारतीय मात्स्यिकी क्षेत्र में उद्यमिता के अवसर – कोविड -19 महामारी के प्रभाव को दूर करने के लिए संकट प्रबंधन सहायता” विषय पर वेबिनार आयोजन किया। इस वेबिनार का उद्देश्य भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भाकृअनुप) के अंतर्गत विभिन्न मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थानों द्वारा विकसित व्यावसायिक संभावित नवोन्मेषी प्रौद्योगिकियों और सरकार द्वारा दी जाने वाली प्रमुख व्यावसायिक सहायक योजनाओं के बारे में जानकारी देना था।
इस कार्यक्रम में 310 प्रतिभागियों की भागीदारी देखी गई, जो विभिन्न श्रेणियों जैसे मात्स्यिकी उद्योग/प्रसंस्करक, निर्यातक, खारा जल/मीठे जल कृषि/किसान, सजावटी मछली प्रजनक / पिंजरे पालक, स्टार्टअप्स/ उद्यमी, संस्थानगत और निजी निवेशक/सरकारी अभिकरण से जुड़े हैं। आईपी एवं टीएम प्रभाग (भाकृअनुप), अग्रीइन्नोवेट इंडिया लिमिटड, एमएसएमई-डीआई, भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थानों से 16 वक्ताओं एवं भाकृअनुप मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थानों से 8 वक्ता थे। डॉ.जॉर्ज नैनान, प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रभारी अधिकारी, क्षे.प्रौ.प्र.के वेबिनार के संचालक थे।
डॉ.रविशंकर सी.एन., निदेशक, भाकृअनुप-केमाप्रौसं ने परिचयात्मक टिप्पणी दी और वेबिनार के उद्देश्य और महत्व के बारे में बताया। डॉ.संजीव सक्सेना, स.म.नि., आईपीटीएम, नई दिल्ली ने अपने विशेष संबोधन में कृषि क्षेत्र में उद्यमिता विकास को बढ़ावा देने में आईपी एंड टीएम प्रभाग की भूमिका के बारे में रूपरेखा दी। डॉ.सुधा मैसूर, सीईओ, अग्रीइन्नोवेट इंडिया लिमिटेड ने कृषि-व्यवसाय को बढ़ावा देने में उनकी गतिविधियों के बारे में एक अवलोकन दिया और संस्थागत प्रौद्योगिकियों को व्यवहार्य व्यावसायिक परियोजनाओं में कैसे बदल दिया जाता है, इसके बारे में टिप्पणी दी। डॉ. के. श्रीनिवास, प्रधान वैज्ञानिक, एनएएआरएम, हैदराबाद ने व्यवसाय उद्भवन के माध्यम से एक उद्यमी हितैषी पारिस्थितिकी के विकास के बारे में बात की, जो कृषि-व्यवसायों के विकास में मदद कर सकता है और स्टार्टअप्स के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान कर सकता है। डॉ. मनोज पी. सामुअल, प्रभागाध्यक्ष, अभियांत्रिकी, भाकृअनुप-केमाप्रौसं ने बौद्धिक संपदा अधिकारों के माध्यम से एक प्रौद्योगिकी के व्यावसायिक मूल्य को साकार/संरक्षित करने पर एक अवलोकन दिया। डॉ. ए. के. मोहंती, प्रभागाध्यक्ष, विस्तार ने मात्स्यिकी क्षेत्र में उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए और कोविड-19 संकट के दौरान व्यापार को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के विभिन्न तरीकों के बारे में बताया।
8 भाकृअनुप संस्थानों के संस्थान प्रौद्योगिकी प्रबंधन इकाई के प्रभारी अधिकारियों ने संबंधित संस्थानों द्वारा विकसित संभावित प्रौद्योगिकियों को प्रस्तुत किया और उद्यमियों को विभिन्न प्रौद्योगिकियों के तकनीकी और वाणिज्यिक पहलुओं के बारे में बताया। डॉ. पी. के. पाटील (आईसीएआर-सीआईबीए), डॉ. काजल चक्रवर्ती (आईसीएआर-सीएमएफआरआई), डॉ. प्रियाबट स्वैन (आईसीएआर-सीआईएफए), डॉ. गणेश चंद्रा (आईसीएआर-सीआइएफआरआई), डॉ. बी.बी. नायक (आईसीएआर-सीआइएफई), डॉ.आर. एस, पटियाल (आईसीएआर-डीसीएफआर), डॉ. अनुतोश पारिया (आईसीएआर-एनबीएफजीआर) और डॉ.जॉर्ज नैनान (भाकृअनुप-केमाप्रौसं) संस्थान प्रौद्योगिकी प्रबंधन इकाइयों से वक्ता थे। डॉ. माथ्यू सी. डी., सहायक संकाय - प्रबंधन अध्ययन, भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, कोट्टयम, केरल ने संस्थान द्वारा दी जाने वाली उद्यमी सहायता सेवाओं के बारे में बात की और बताया कि किस तरह वे सामाजिक लाभ के लिए चीज़ों की इंटेर्नेट (IoT) और क्लाउड समाधानों से संबंधित प्रौद्योगिकी की उपयोगिता बढ़ाने के लिए ग्राहकों को प्रेरित करते हैं। डॉ. मार्टिन पी. चाको, एमएसएमई – डीआई, केरल ने कोविड -19 संकट के दौरान उद्यमियों का समर्थन करने के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू की गई नवीन वित्तीय योजनाओं के बारे में बताया।
यह वेबिनार लगभग 3 घंटे तक चला और क्षे.प्रौ.प्र.के द्वारा ईमेल संचार के माध्यम से ग्राहकों के प्रश्नों को संबोधित किया गया। इस कार्यक्रम का वीडियो भाकृअनुप-केमाप्रौसं यूट्यूब चैनल और फार्म हब, फ़िशिंग चाइम्स द्वारा एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म में ऑनलाइन पोस्ट करके आम जनता को देखने और संबंधित हितधारकों के लिए उपलब्ध कराया गया है।
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