भाकृअनुप-केंद्रीय मात्स्यिकी प्रौद्योगिकी संस्थान, कोचिन ने कृषि विज्ञान केंद्र, बेलक, निचली दिबांग घाटी, अरुणाचल प्रदेश के सहयोग से स्वास्थ्यकर परिस्थितियों में धूम्रन अभिसाधित मत्स्य का प्रदर्शन आयोजित किया और 15 सामुदायिक मत्स्य धूम्रन भट्ठी (COFISKI) इकाइयों को वितरित किया। कोल इंडिया परियोजना की सीएसआर योजना के भाग के रूप में यह कार्यक्रम “सामुदायिक मत्स्य धूम्रन बेहतर स्वास्थ्य, स्वच्छता, लंबी निधानी आयु के साथ गुणवत्ता वाले उत्पाद, टिकाऊ आय सृजन और आर्थिक रूप से कम-विशेषाधिकार प्राप्त अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समूह के आंतरिक इलाके के महिला मछुआरों के लिए कम कार्बन फुट प्रिंट के लिए भट्ठियां" पर केवीके, बलेक में 12 फरवरी 2019 को आयोजित किया गया।। डॉ.एम.एम. प्रसाद, परियोजना के प्रधान अन्वेषक और प्रभागाध्यक्ष सू कि एवं प्रौ, भाकृअनुप-केमाप्रौसं और डॉ.टी.जे. रमेश, हेड, कृविके, बलेक ने भारत सरकार के उपूप कार्यक्रमों के एक हिस्से के रूप में निचली दिबांग घाटी में प्रग्रहण और पश्च प्रग्रहण मात्स्यिकी के विकास कार्यक्रमों पर श्रीमती मिताली नामचूम, भाप्रसे, निचली दिबांग घाटी को जानकारी दिया।
सभा का स्वागत करते हुए, डॉ.जे.रमेश ने भाकृअनुप-केमाप्रौसं के वैज्ञानिकों के प्रयासों की प्रशंसा की जिन्होंने प्रग्रहण और पश्च प्रग्रहण मात्स्यिकी और विभिन्न मूल्य वर्धित उत्पाद विकास के बारे में जागरूकता पैदा की। प्रगतिशील किसान श्री जतन पुलु द्वारा आर्शीवचन प्रदान किया गया, जिन्होंने भाकृअनुप-केमाप्रौसं की मदद से निचली दिबांग घाटी की महिला मछुआरों की प्रगति की सराहना किया। उन्होंने महिलाओं को अरुणाचल प्रदेश के विकास के लिए संघ में काम करना सुनिश्चित करने की भी सलाह दिया। जिया गाँव की श्रीमती ओमांग लेगो, जिन्होंने सफलता की कहानी का एक उदाहरण स्थापित किया, ने सफलता की यात्रा के अपने अनुभव को सुनाया और निचली दिबांग घाटी की महिलाओं को देश की रोल मॉडल बनने के लिए प्रोत्साहित किया। अध्यक्षीय भाषण देते हुए डॉ.एम.एम. प्रसाद ने कहा कि टीम में काम करना और निचली दिबांग घाटी की महिला मछुआरों की मेहनत सफल कहानियों के रूप में लाभांश का भुगतान कर रही है। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से अरुणाचल प्रदेश की महिलाएं और उ पू क्षेत्र के राज्य सामान्य रूप से विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी हैं। इसी बात के परिणामस्वरूप महिला केंद्रित परियोजनाएँ जैसे कि कोल इंडिया लिमिटेड की सीएसआर योजना। समारोह के मुख्य अतिथि श्री तापिक पर्टिन, एडीसी, रोइंग ने कहा कि भाकृअनुप-केमाप्रौसं को निचली दिबांग घाटी की महिला मछुआरों को प्रदान किए गए समर्थन के लिए बिलकुल सराहना की जरूरत है और इस बात का समर्थन किया कि महिला मछुआरे प्रशिक्षक बन रही हैं और अन्य मछुआरों को प्रशिक्षित करने में सक्षम हैं जिसके परिणामस्वरूप बेहतर होगा मात्स्यिकी क्षेत्र का विकास। लाभार्थियों को बाद में प्रमाण पत्र भी जारी किए गए जब कि 8 लाख रुपये की लागत के 15 COFISKI इकाइयों के साथ-साथ धूम्र अभिसाधित मत्स्यों को संभालने के लिए किट वितरित किए गए। इस कार्यक्रम का अंत श्री जिमी मिक (केवीके के एसएमएस विशेषज्ञ) द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। इस समारोह में 70 से अधिक मछुआरों ने भाग लिया।
उद्घाटन सत्र प्रगति पर है
COFISKI और किटों का वितरण
मुख्य अतिथि को COFISKI के बारे में समझाते हुए
Page Last Updated on
Visitors Count :
All rights reserved © Central Institute of Fisheries Technology (CIFT)
Website Powered by Cloud Business Pages from INI Technologies Pvt Ltd, India